एक तरफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर रही है वहीं दूसरी तरफ घुघली में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. मामला घुघली क्षेत्र के मटकोपा का है जहां पर सरकारी धन के साथ ग्राम सभा के जिम्मेदारों ने व्यापक स्तर पर घोटाला किया है जिसके संबंध में जनसूचना के तहत जानकारी मांगी गई थी लेकिन 10 माह बीतने के बाद भी यहां के अधिकारियों द्वारा सूचना नहीं दिया गया. क्योंकि कुछ मनबढ़ अधिकारी हैं जो सभी नियमों को ताक पर रखकर काम करते है. जनसूचना के तहत जानकारी मांगने पर सबसे पहले संबंधित ग्राम प्रधान को जानकारी दे दिया जाता है और फिर कुछ भ्रष्टाचारी मामले को मैनेज कराने में लग जाते हैं.आपको बता दें घुघली के मटकोपा में सरकारी धन के साथ काफी बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है जिसकी शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नही की गई. कार्यवाही ना होने पर जनसूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 5 जुलाई 2022 को रामबदन निवासी मटकोपा के द्वारा 2015 से 2022 तक का गांव के आय और व्यय का ब्योरा मांगा गया था. दो माह बीतने के बाद शिकायतकर्ता द्वारा रिमाइंडर भी भेजा गया उसके बावजूद दस माह बीत जाने के बाद भी कोई सूचना नहीं दी गई. इसके संबंध में जब खण्ड विकास अधिकारी से शिकायत किया गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ये हमारा काम नही है संबंधित सचिव से मिलिए इतना कह कर उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया. खण्ड विकास अधिकारी के बातों को सुनने के बाद शिकायतकर्ता द्वारा मटकोपा के सचिव से दर्जनों बार सूचना मांगा गया है लेकिन सचिव अवनीश वर्मा सूचना नहीं देते हैं और गैरजिम्मेदाराना बयान देते हैं कहते हैं कि सब भ्रष्टाचार करते हैं कौन ईमानदार है? हमारे पास इतना फालतू समय नही है कि बेकार के कामों में समय बर्बाद करूं. दस माह बीतने के बाद सचिव अवनीश वर्मा सूचना देने से साफ मना कर दिए और कहने लगे कि हम किसी आरटीआई को नही मानते है हम किसी कानून को नही मानते हैं. हम अपने नियम कानून खुद बनाते हैं और उसी नियम कानून पर चलते हैं. अब बड़ा सवाल खड़ा होता है बीडीओ के ऊपर कि ऐसे मनबढ़ सचिवों के ऊपर कार्यवाही क्यों नही हो रहा है. और जनसूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना दस माह बीतने के बाद भी क्यों नही दिया गया. या कहीं ऐसा तो नहीं की चोर चोर मौसेरे भाई की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं घुघली के जिम्मेदार.
